Sunday, 8 August 2021

डॉ एस आर रंगनाथन (Dr. S. R. Ranganathan) भारतीय पुस्तकालय विज्ञान के पिता

                                               पूरा नाम: शियाली रामामृत रंगनाथन
जन्म: 12 अगस्त 1892, तमिलनाडु
निधन: 27 सितंबर 1972, बेंगलुरु
शिक्षा: मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन
माता-पिता: राममृता अय्यर, सीतलक्ष्मी
व्यवसाय: लेखक, अकादमिक, गणितज्ञ, पुस्तकालयाध्यक्ष
राष्ट्रीयता: भारतीय
शैली: पुस्तकालय विज्ञान, प्रलेखन, सूचना विज्ञान
मुख्य रचनाएँ
1.फ़ाईव लौज ऑफ लाइब्रेरी साइंस (1931)
2. क्लासिफाईड कैटेलॉग कोड (1934)
3. प्रोलेगोमेना टु लाइब्रेरी क्लासिफिकेशन (1937)
4. थ्योरी ऑफ लाइब्रेरी कैटेलॉग (1938)
5. एलीमेंट्स ऑफ लाइब्रेरी क्लासिफिकेशन (1945)
6. क्लासिफिकेशन एंड इन्टरनेशनल डाक्यूमेंटेशन (1948)
7. क्लासिफिकेशन एंड कम्यूनिकेशन (1951)
8. हेडिंग्स एंड काइनन्स (1955) प्रमुख हैं।

पुरस्कार - पद्म श्री 1957 में
जन्म और शिक्षा (Birth and Education)
शियाली रामअमृता रंगनाथन जी का जन्म 9/12 अगस्त 1892 (09 अगस्त को उनका जन्म हुआ था और उनके डाक्यूमेंट्स मे 12 लिखा है) को तमिलनाडु के तंजौरूर जिले के शियाली, मद्रास वर्तमान चेन्नई में हुआ था उनके पिता रामम्रिता अय्यर थे, जब रंगनाथन सिर्फ 6 वर्ष के थे, उनके पिता जी का निधन हो गया। उनकी देख-रेख दादा जी ने की, रंगनाथन की मां सेठलाक्ष्मी एक सरल और बहुत ही पवित्र महिला थी। रंगनाथन जी अपने माता – पिता की पहली संतान थे, रंगनाथन जी की शादी 1907 में रुक्मिणी के साथ हुई उस समय रंगनाथन कि उम्र 15 साल थी, रुक्मिणी उन की पहली पत्नी थी, जिनकी 13 नवंबर 1928 को मद्रास में मृत्यु हो गई, रंगनाथन ने दूसरी शादी सरदा के साथ दिसंबर 1929 में की।

रंगनाथन के योगदान का पुस्तकालय विज्ञान पर विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा। रंगनाथन की शिक्षा शियाली के हिन्दू हाई स्कूल, टीचर्स कॉलेज, सइदापेट में हुई थीं। मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में उन्होंने 1913 और 1916 में गणित में बी. ए. और एम. ए. की उपाधि प्राप्त की।

1917 में उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, कोयंबटूर और 1921-23 के दौरान प्रेज़िडेंसी। कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया।।

पद (Post)
1924 में रंगनाथन को मद्रास विश्वविद्यालय का पहला पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया और इस पद की योग्यता। हासिल करने के लिए वह यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए।
1925 से मद्रास में। उन्होंने यह काम पूरी लगन से शुरू किया और 1944 तक इस पद पर बने रहें। 1945-47 के दौरान उन्होंने बनारस (वर्तमान वाराणसी) हिन्दू विश्वविद्यालय में पुस्तकालाध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया.
1947-54 के दौरान उन्होंने दिल्लीविश्वविद्यालय में पढ़ाया। 1954-57 के दौरान वह ज्यूरिख, स्विट्ज़रलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे। इसके बाद वह भारत लौट आए और 1959 तक विक्रम
विश्वविद्यालय, उज्जैन में अतिथि प्राध्यापक रहे। 1962 में उन्होंने बंगलौर में प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया और इसके प्रमुख बने और जीवनपर्यंत इससे जुड़े रहे।
1957 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया। उनके जन्म दिन 12 अगस्त को पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस (Librarian's Day) मनाया जाता है।

योगदान (Contribution)
रंगनाथन द्वारा 1928 ई. मे पुस्तकालय विज्ञान के पाँच सूत्रों (Five Law of Library) का प्रतिपादन किया गया, जिससे पुस्तकालय सेवा को नया आयाम प्रपट हुआ। पुस्तकालय विज्ञान के लिए रंगनाथन का योगदान प्रायः सभी क्षेत्रों मे रहा ।

उन्होने वर्गीकरण (Library Classification), सूचिकरण (Library Catalog), प्रबंधन (Management)और अनुक्रमणीकरण (इंडेक्सिंग) सिद्धांत था। उनके कोलन क्लासिफ़िकेशन(CC: Colon Classification - 1933 ई.) ने ऐसी प्रणाली शुरू की, जिसे विश्व भर में व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

इस पद्धति ने डेवी दशमलव वर्गीकरण जैसी पुरानी पद्धति के विकास को प्रभावित किया। सन 1934 में वर्गीकृत सूचिकरण पद्धति (CCC: Classified Cataloguing Code) का प्रकाशन हुआ उन्होने इसमे

अनुक्रमणीकरण प्रविष्टियों के लिए 'श्रृंखला अनुक्रमणीकरण' की तकनीक तैयार की।

उनकी फ़ाइव लॉज़ ऑफ़ लाइब्रेरी साइंस (1931) को पुस्तकालय सेवा के आदर्श एवं निर्णायक कथन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकृत किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय और कई राज्य स्तरीय पुस्तकालय प्रणालियों की योजनाएँ तैयार की।

निधनDeath)
पुस्तकालय विज्ञान के पितामह डॉ एस आर रंगनाथन जी की मृत्यु 27 सितंबर 1 9 72 (80 वर्षीय) बैंगलोर, भारत मे हुई ।



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