Thursday 15 September 2022

हिन्दी दिवस/हिन्दी पखवाड़ा

 
हिन्दी दिवस/हिन्दी पखवाड़ा

भारत सरकार की राजभाषा नीति/नियमों के अनुसरण में राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए वर्ष भर कई समारोहों का आयोजन किया जाता है। आजादी मिलने के दो साल बाद संविधान सभा ने लम्बी चर्चा के बाद 14 सितम्बर सन् 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा स्वीकारा गया। इसके बाद संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के सम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये 14 सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।




राजभाषा हिन्दी की विकास

हिन्दी दीर्घकाल से अखण्ड भारत में जनजन के पारस्परिक सम्पर्क की भाषा रही है। भक्तिकाल में अनेक सन्त कवियों ने हिन्दी में साहित्य रचना की और लोगों का मार्गदर्शन किया। 

स्वतन्त्रता पूर्व

18वीं शताब्दी  : भरतपुर राज्य तथा पूर्वी राजस्थान के कई राजवाड़े हिन्दी (ब्रजभाषा) में कार्य कर रहे थे।

1826  : हिन्दी के पहले समाचारपत्र उदन्त मार्तण्ड का कलकत्ता से प्रकाशन, पण्डित युगलकिशोर शुक्ल द्वारा

1829  : राजा राममोहन राय द्वारा 'बंगदूत' का प्रकाशन ; यह हिन्दी सहित बांग्ला, फ़ारसी और अंग्रेजी में छपता था।

1835  : बिहार में हिन्दी आन्दोलन शुरू हुआ था। इस अनवरत प्रयास के फलस्वरूप सन् 1875 में बिहार में कचहरियों और स्कूलों में हिन्दी प्रतिष्ठित हुई।

1872  : आर्य समाज के संस्थापक महार्षि दयानंद सरस्वती जी कलकत्ता में केशवचन्द्र सेन से मिले तथा संस्कृत छोड़कर हिन्दी बोलना का निवेदन किया तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिन्दी हो गयी और शायद इसी कारण स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश की भाषा भी हिन्दी ही रखी।

1873 : महेन्द्र भट्टाचार्य द्वारा हिन्दी में पदार्थ विज्ञान (material science) की रचना।

1875  : बिहार में कचहरियों और स्कूलों में हिन्दी प्रतिष्ठित हुई।

1875  : सत्यार्थ प्रकाश की रचना। यह आर्यसमाज का आधार ग्रन्थ है और इसकी भाषा हिन्दी है।

1877  : श्रद्धाराम फिल्लौरी ने भाग्यवती नामक हिन्दी उपन्यास की रचना की।

1878 : भारतमित्र नामक हिन्दी समाचार पत्र का कलकता से प्रकाशन। इसे कचहरियों में हिन्दी प्रवेश आन्दोलन का मुखपत्र कहा जाता है।

1882  : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने शिक्षा आयोग (हन्टर कमीशन) के समक्ष अपनी गवाही दी जिसमें हिन्दी को न्यायालयों की भाषा बनाने की महत्ता पर बल दिया।

1880 का दशक  : गुजराती के महान कवि श्री नर्मद (1833-86) ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का विचार रखा।

1893  : काशी नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना।

1898  : मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने पश्चिमोत्तर प्रदेश व अवध के गवर्नर सर एंटोनी मैकडोनेल को 'कोर्ट कैरेक्टर एण्ड प्राइमरी एजुकेशन इन नार्थ वेस्टर्न प्रोविन्सेज' नामक ज्ञापन सौंपा।

1900  : सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ। (इण्डियन प्रेस, प्रयाग से) और प्राइमरी स्कूलों में हिन्दी भाषा शिक्षा की शुरुआत।

1907  : न्यायमूर्ति शारदाचरण मित्र द्वारा 'एक लिपि विस्तार परिषद' की स्थापना एवं देवनागरी लिपि में 'देवनागर' नामक मासिक पत्र का प्रकाशन।

1917  : महात्मा गांधी ने 1917 में भरूच में गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में अपने अध्यक्षीय भाषण में राष्ट्रभाषा की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा था कि भारतीय भाषाओं में केवल हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है।

1918  : मराठी भाषी लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से घोषित किया कि हिन्दी भारत की राजभाषा होगी।

1918  : महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना

1929  : हिन्दी शब्दसागर का प्रकाशन

1930 का दशक  : हिन्दी टाइपराइटर का विकास (शैलेन्द्र मेहता)

1935  : मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री रूप में सी० राजगोपालाचारी ने हिन्दी शिक्षा को अनिवार्य कर दिया।

1937  : हरि गोविन्द गोविल (1899 -1956) द्वारा देवनागरी के लिए एक नए टाइपफेस का आविष्कार

स्वतन्त्रता के बाद

1949 :संविधान सभा ने हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। इस दिन को अब हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

1950 :संविधान लागू हुआ। तदनुसार उसमें किए गए भाषायी प्रावधान (अनुच्छेद 120, 210 तथा 343 से 351) लागू हुए। वैज्ञानिक-तकनीकी शब्दावली के लिए शिक्षा मंत्रालय ने सन् 1950 में बोर्ड की स्थापना की। सन् 1952 में बोर्ड के तत्त्वावधान में शब्दावली निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ।

1952   :शिक्षा मन्त्रालय द्वारा हिन्दी भाषा का प्रशिक्षण ऐच्छिक तौर पर प्रारम्भ किया गया। मोटूरि सत्यनारायण तथा अन्य हिन्दीसेवियों के प्रयत्न से सन् 1952 में 'अखिल भारतीय हिन्दी परिषद्' की स्थापना आगरा में की गयी।

1955   :हिन्दी शिक्षण योजना की स्थापना। केन्द्र सरकार के मन्त्रालयों, विभागों, संबद्ध व अधीनस्थ कर्मचारियों को सेवाकालीन प्रशिक्षण। बी.जी. खेर की अध्यक्षता में राजभाषा आयोग का गठन (संविधान के अनुच्छेद 344 (1) के अन्तर्गत) अक्तूबर,1955 गृह मन्त्रालय के अन्तर्गत हिन्दी शिक्षण योजना प्रारम्भ की गई।

1956   :खेर आयोग की रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत की गई।

1957   :खेर आयोग की रिपोर्ट पर विचार हेतु तत्कालीन गृहमन्त्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत की अध्यक्षता में संसदीय समिति का गठन।

1959   :संविधान के अनुच्छेद 344 (4) के अन्तर्गत संसदीय समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत की गई।

1960   :हिन्दी टंकण, हिन्दी आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण आरम्भ किया गया।19 मार्च, 1960 को शिक्षा मन्त्रालय, भारत सरकार ने 'केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण महाविद्यालय' की स्थापना की ।

1961   : में स्थायी राजभाषा आयोग का गठन किया गया। ( लेकिन 1976 में स्थायी राजभाषा आयोग को समाप्त कर दिया गया।)

1962   :30 मार्च 1962 - केन्द्र सरकार द्वारा हिन्दी साहित्य सम्मेलन अधिनियम, 1962 पारित ; हिन्दी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग को 'राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान' घोषित,वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग की स्थापना हुई।

1963   :अनुच्छेद 343(3) के प्रावधान व श्री जवाहर लाल नेहरू के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए राजभाषा अधिनियम बनाया गया। इसके अनुसार हिन्दी संघ की राजभाषा व अंग्रेजी सह-राजभाषा के रूप में प्रयोग में लाई गई।

1967   :प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय हिन्दी समिति का गठन किया गया। यह समिति सरकार की राजभाषा नीति के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण दिशा-निदेश देने वाली सर्वोच्च समिति है। सिंधी भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित की गई।

1968   : राजभाषा अधिनियम, 1963 में संशोधन किए गए।राजभाषा संकल्प 1968 में किए गए प्रावधान के अनुसार वर्ष 1968-69 से राजभाषा हिन्दी में कार्य करने के लिए विभिन्न मदों के लक्ष्य निर्धारित किए गए तथा इसके लिए वार्षिक कार्यक्रम तैयार किया गया।

1971   :केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो का गठन।

1973   :केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो के दिल्ली स्थिति मुख्यालय में एक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना।

1974   : केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के स्वामित्व एवं नियंत्रणाधीन निगमों, उपक्रमों, बैंकों आदि के कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए हिन्दी भाषा, टंकण एवं आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण।

1975   :नागपुर में 18 से 14 जनवरी तक प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित किया गया।

1976   :राजभाषा नियम बनाए गए। संसदीय राजभाषा समिति का गठन।

1977   :श्री अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन विदेश मन्त्री ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को हिन्दी में संबोधित किया।

1981   :केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग का गठन किया गया।

1986   :कोठारी शिक्षा आयोग की रिपोर्ट। 1968 में पहले ही यह सिफारिश की जा चुकी थी कि भारत में शिक्षा

1986-87 :इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार प्रारम्भ किए गए। राजभाषा नियम, 1976 में संशोधन किए गए।

1988   :विदेश मन्त्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेम्बली में तत्कालीन विदेश मन्त्री श्री नरसिंह राव जी हिन्दी में बोले।

1996   :महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की वर्धा में स्थापना।

1999   :संघ की राजभाषा हिन्दी की स्वर्ण जयन्ती मनाई गई।

2000   :राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार वर्ष 2001-02 से आरम्भ करने की घोषणा की गई ।

2003   :मंत्रिमंडल ने एन.डी.ए. तथा सी.डी.एस. की परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों को हिन्दी में भी तैयार करने का निर्णय लिया। हिन्दी स्वयं सीखने के लिए राजभाषा विभाग ने कम्प्यूटर प्रोग्राम (लीला हिन्दी प्रबोध, लीला हिन्दी प्रवीण, लीला हिन्दी प्राज्ञ) तैयार करवा कर सर्वसाधारण द्वारा उसका निशुल्क प्रयोग के लिए उसे राजभाषा विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया है।

2004   :बोडो, डोगरी, मैथिली तथा संथाली भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में रखा गया। केन्द्रीय सरकार की राजभाषा नीति के अनुपालन/कार्यान्वयन के लिए न्यूनतम हिन्दी पदों के मानक पुनः निर्धारित।

2005   :525 हिन्दी फोण्ट, फोण्ट कोड कनवर्टर, अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश, हिन्दी स्पेल चेकर को निशुल्क प्रयोग के लिए वेब साइट पर उपलब्ध कराया गया। मंत्र-राजभाषा अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद सॉफ़्टवेयर प्रशासनिक एवं वित्तिय क्षेत्रों के लिए प्रयोग एवं डाउनलोड हेतु राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया।

2006   :कंप्यूटर की सहायता से उड़िया, असमी, मणिपुरी तथा मराठी भाषा के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिन्दी स्वयं सीखने के लिए प्रोग्राम तैयार करवा कर राजभाषा विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया।

2007   :कंप्यूटर की सहायता से नेपाली, पंजाबी, कश्मीरी तथा गुजराती भाषा के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिन्दी स्वयं सीखने के लिए प्रोग्राम तैयार करवा कर राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया।

2018   :अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने हिन्दी माध्यम से इंजीनियरिंग की शिक्षा की अनुमति दी।

2019   :सर्वोच्च न्यायालय ने अपने सभी निर्णयों का हिन्दी या अन्य पाँच भारतीय भाषाओं (असमिया, कन्नड, मराठी, ओडिया एवं तेलुगु ) में अनुवाद प्रदान करना आरम्भ किया।

2020   :केन्द्र-शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं में उर्दू और अंग्रेजी के अतिरिक्त हिन्दी, डोगरी और कश्मीरी को भी सम्मिलित किया गया।

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